सोमवार, 3 सितंबर 2012

एक गज़ल

सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा

इतना मत चाहो उसे वो बे-वफ़ा हो जायेगा



हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है


जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा



कितनी सच्चाई से मुझसे ज़िन्दगी ने कह दिया


तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जायेगा



मैन ख़ुदा का नाम ले कर पी रहा हूँ दोस्तों


ज़हर भी इस मे अगर होगा दवा हो जायेगा



रूठ जाना तो मोहब्बत की अलामत है मगर


क्या ख़बर थी मुझ से वो इतना ख़फ़ा हो जायेगा




                                                            (बशीर बद्र )

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